Sunday 25 August 2013











समय
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समय
फिर कुछ नए रंग
भर जीवन में ....

समय
फिर  कुछ नए ढंग
भर मुस्कान  के  ....

समय
तू पीछे जा इतना 
सुनहरे पल उठ के आ जाये 
कुछ अतीत के ....
या फिर ले चल उनके पास

समय
तू फिर तेज   दौड़ इतना
कि सपनों की बारात का
दूल्हा आज बन जाऊं

समय
तू फिर कोई चक्कर चला
मैं 'आज' की कैद
से मुक्त हो जाऊं....

समय
तू फिर कोई छल कर समय से
समय के हाथों आज हो पराजित ..
हो पराजित अवसाद के क्षण

समय 
तू फिर रच कोई शब्द नये
गगन में विजय - उदघोष के
प्रार्थना के
आशा के
क्योंकि
एक तू ही हैं  सत्य
जीवन का
जीवन के आधार  का ....


रामकिशोर उपाध्याय

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