Sunday 13 October 2013

विजय दशमी पर्व ---------------


आज फिर दहन होगा ?
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आज 
फिर एक रावण जलेगा
एक मेघनाथ मरेगा
एक कुम्भकर्ण गिरेगा
लंका
तो पहले जल गयी थी
कितने रावण अभी शेष हैं
कितनी लंकाए अभी ढेर होनी हैं
कम से कम मुझे तो पता नहीं
शायद आपके पास उत्तर हो ?
परन्तु .................
क्या हम आज दहन कर पायंगे
वही शिव भक्त रावण का
वही मित्र बाली का
वही आज्ञाकारी पुत्र मेघनाथ का
संतान प्रेमी पिता का
वही भाई प्रेम में बंधे कुम्भकर्ण का
वही राजाज्ञाकारी राक्षस सेना का
वही बहन प्रेमी भाइयों को
वही पति-समर्पित पत्नी को
क्या भूल पाएंगे घर का भेदी विभीषण को
क्या हम इन्हें अपनी लोकोक्ति से भी मिटा देंगे ?
शायद कभी नहीं ..........
आज ..............
अवश्य उस बुराई रुपी रावण का वध करे
परन्तु उस काल मे परिलक्षित हुयी
संबंधों की शक्ति का नहीं
आज इन संबंधों की ..................
उस त्रेता युग
से भी अधिक
आवश्यकता हैं

रामकिशोर उपाध्याय

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. श्रीमान रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी इस स्नेह के लिए हार्दिक आभार . आपको सपरिवार विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनायें .

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