Thursday 31 October 2013

कुछ अनजाने रिश्ते ...













वो कभी 
मिट्टी में पड़े बीज 
दिखे ही नहीं बरसों तक 
किसी अनजाने रिश्ते की मानिंद  

करते रहे
किसी अनुकूल मौसम की प्रतीक्षा 
पनपे तो
बरगद के पेड़ की तरह
फैले तो
अमरबेल की तरह...

रामकिशोर उपाध्याय 
31.10.2013

No comments:

Post a Comment