Tuesday 27 December 2016

मुक्तक एवम अन्य

मुक्तक 
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यहाँ के राम वहाँ पर रहमान हो जाये
उचककर धरा ऊपर आसमान हो जाये
खिल जाये बाग के वो सारे उदास फूल
यदि मेरी उनसे जान पहचान हो जाये

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उनके साथ सांसों का सौदा हो गया ।
किसने कहा मैं इंसा बोदा हो गया ॥

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हे प्रभु !!!

बख्शना गर किसी कॊ जिन्दगी तो देना सभी सामान ।
देना उसे तू सभी राहते और न सिसके कभी अरमान ॥
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सबके जीवन से मिटे,दुखों का अन्धकार
मात्र यही शुभकामना,सुखमय हो संसार 
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अब कोई ऐसा मिल जाए..........जिसे अपना बताया जाय |
फिर कुछ पल ऐसे मिल जाए जिन्हें मिलकर बिताया जाय | |


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कागज़ के उस टुकडे ने मेरी शक्ल औ सूरत बदल दी ।
दो हज़ार का नोट नहीँ,वो उसका लेट कबूलनामा था ॥

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काश !हम तुम्हारी कश्ती पर सवार होते |
तुम ही नाखुदा होते,तुम ही पतवार होते ||
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कल की धुंधली परछाई आज के उजालों पर न हो ।
उत्तरों की जुस्तजू में वक़्त जाया सवालों पर न हो ॥
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यह धरा रहे धनधान्य पूर्ण,सबके तन पर परिधान रहे।
सदा रहे जयघोष कर्म का,ऐसा मेरा हिंदुस्तान रहे ॥

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गमले में उगा बोंजाई बड़ा बरगद हो नही सकता 
मगर उसको बढ़ने से भी कोई रोक नही सकता 


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रामकिशोर उपाध्याय

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Ramkishore Upadhyay

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